Brief Summary
इस वीडियो में, दिनेश के वोहरा एटॉमिक वॉर की स्थिति में खुद को बचाने के तरीकों पर बात करते हैं। वो एक सेफ्टी किट के बारे में बताते हैं जिसमें पानी, खाना, रेडियो, मेडिकल किट और दूसरी जरूरी चीजें होनी चाहिए। वो रेडिएशन से बचने के लिए कुछ 'डूस एंड डोंट्स' भी बताते हैं, जैसे कि एसी न चलाना और बेसमेंट में रहना।
- एटॉमिक वॉर की स्थिति में खुद को कैसे बचाएं।
- सेफ्टी किट में क्या-क्या होना चाहिए।
- रेडिएशन से बचने के लिए क्या करें और क्या न करें।
परिचय
दिनेश के वोहरा बताते हैं कि ये प्रोग्राम टीवी या सोशल मीडिया पर नहीं मिलेगा। वो एटॉमिक वॉर की संभावनाओं और साउथ एशिया में ऐसी स्थिति पैदा होने पर खुद को बचाने के तरीकों पर बात करेंगे। भारत की 'नो फर्स्ट यूज' पॉलिसी के बारे में भी बताते हैं, लेकिन पाकिस्तान के बारे में नहीं।
जंग के दुष्परिणाम
दिनेश के वोहरा कहते हैं कि जंग कभी अच्छी नहीं होती। इससे बहुत नुकसान होता है, जैसे कि मौतें और विधवाएं। वो पॉलिटिक्स की बजाय प्रोटेक्शन की बात करेंगे और बताएंगे कि एटॉमिक वॉर होने पर खुद को कैसे बचाया जा सकता है।
सेफ्टी किट
दिनेश के वोहरा एक सेफ्टी किट के बारे में बताते हैं जिसमें पानी की बोतल, मिल्क, खाने-पीने का सामान (टिन में), टॉर्च, बैटरीज, रेडियो सेट, माचिस, मेडिकल किट, किताब और पैसे होने चाहिए। टिन फूड इसलिए जरूरी है क्योंकि रेडिएशन मेटल को पियर्स नहीं कर पाता।
रेडिएशन से बचाव
पानी को प्लास्टिक के कंटेनर्स में रखें और उन्हें ब्लैक प्लास्टिक शीट से ढक दें। एसी न चलाएं, क्योंकि वो बाहर का रेडिएशन अंदर खींच लेगा। कूलर का इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि वो अंदर की हवा को अंदर ही रखता है। मेडिकल किट और बहुत सारा पानी साथ में रखें।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल
टेलीविजन और दूसरे गैजेट्स का इस्तेमाल न करें, खासकर वो जो बाहर से गैस या हवा को अंदर खींचते हैं। 30 मिनट के बाद बाहर का दृश्य गुबारों से भरा हो सकता है। 24 घंटे के बाद रेडिएशन थोड़ा कम होना शुरू हो जाएगा, लेकिन फिर भी बाहर नहीं निकलना है।
रेडियो का महत्व
रेडियो बहुत जरूरी है, क्योंकि ये आपको जरूरी जानकारी देगा। ब्लैक आउट होने पर भी रेडियो चलता रहेगा, जबकि टेलीविजन बंद हो जाएगा। बेसमेंट में टीवी कैच नहीं करेगा, लेकिन रेडियो कैच कर जाएगा।
क्या करें और क्या न करें
एयर कूलर रख सकते हैं, लेकिन एसी नहीं। किताबें साथ में रखें। बेसमेंट में पानी की सप्लाई और वाशरूम होने चाहिए। टॉर्च, एडिशनल बैटरीज, वाटर, मेडिकल किट, क्लोथ्स, मिल्क, रेडी हीट स्टो और टिन फूड जरूरी हैं।
रेड क्रॉस की इंस्ट्रक्शंस
रेड क्रॉस के अनुसार, न्यूक्लियर एक्सप्लोजन से लाइट, हीट और रेडियो एक्टिव मटेरियल का डिस्पर्शन होता है। बचने के लिए तीन चीजें जरूरी हैं: डिस्टेंस, शील्डिंग और टाइम। बेसमेंट सबसे अच्छी जगह है। फर्स्ट फ्लोर पर कभी नहीं जाना चाहिए।
बचाव के तरीके
एक्सप्लोजन से जितना दूर रहेंगे उतना अच्छा है। कंक्रीट, ब्रिक्स, बुक्स और मिट्टी रेडिएशन को रोक सकते हैं। पहले दो हफ्ते बहुत खतरनाक होते हैं। दो हफ्ते के बाद रेडिएशन 1% रह जाएगा, लेकिन रेडियो पर इंस्ट्रक्शन सुनते रहें।
एक्सप्लोजन से पहले की तैयारी
फैमिली डिजास्टर प्लान बनाएं। फॉल शेल्टर्स ढूंढ कर रखें। कम्युनिटी बंकर सेंटर्स या शेल्टर सेंटर्स का पता करें। बेसमेंट, सबवे और टनल्स सबसे अच्छी जगह हैं। अगर ऊंची बिल्डिंग है तो मिडिल फ्लोर्स पर रहें।
न्यूक्लियर इमरजेंसी में सूचना
न्यूक्लियर या रेडिएशन इमरजेंसी के बारे में सूचना पाने के लिए अपनी कम्युनिटी रेडियो का इस्तेमाल करें। ऑफिशियल इंफॉर्मेशन को सुनें। अगर अटैक की वार्निंग जारी की जाती है तो उनकी बातें सुनें और फॉलो करें। विंडोज को एंटी रेडिएशन फिल्म्स से कवर करें।
एक्सप्लोजन के दौरान
कंक्रीट की बिल्डिंग सबसे अच्छी है। एयर कंडीशनर कभी न चलाएं। जितना ऊंचा जाएंगे, रेडिएशन लेवल उतना ही हाई होता जाएगा। पहले 24 घंटे बहुत खतरनाक होते हैं। कम से कम 24 घंटे अंदर रहें। अथॉरिटीज की बात सुनें।
बाहर होने पर
अगर आप बाहर हैं तो बचना बहुत मुश्किल है। आसपास कोई प्रोटेक्शन ढूंढें। फ्लैश या फायर बॉल की ओर न देखें। जमीन पर लेट जाएं और अपने सिर को ढक लें। अपने माउथ और नोज को कवर कर लें।
एक्सप्लोजन के बाद रिकवरी
बहुत सारे लोग अफेक्टेड होंगे और उन्हें ट्रीटमेंट चाहिए होगा। हाईएस्ट रेडिएशन लेवल्स वाले एरिया में एक महीने तक शेल्टर में रहना पड़ सकता है। डींटमिनेशन बहुत जरूरी है।
डींटमिनेशन
बाहर न जाएं और जितना हो सके अंदर रहें। अगर आप बाहर हैं तो जल्द से जल्द साफ हो जाएं। अपने कपड़ों को उतार दें, क्योंकि वो 90% रेडियो एक्टिव मटेरियल को हटा सकते हैं। कपड़ों को प्लास्टिक बैग में डालकर सील कर दें और उसे इंसानों से दूर रखें। शावर लें और बहुत सारा साबुन इस्तेमाल करें। बालों को शैम्पू से धोएं, कंडीशनर का इस्तेमाल न करें।
इमोशनल सपोर्ट
इमोशंस बहुत हाई होती हैं। लोगों को लाइट करने की कोशिश करें। उन्हें बुक्स दें, किस्से सुनाएं और कहें कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। अपनी इमोशनल हेल्थ पर ध्यान दें। अपनी फिजिकल हेल्थ को मॉनिटर करें।
जरूरी चीजें
इमरजेंसी सप्लाई को रखें। टिन फूड होना चाहिए। प्लास्टिक कंटेनर में फूड नहीं होना चाहिए। पानी को कवर करके रखें। एसी का इस्तेमाल न करें। एयर कूलर या पंखा इस्तेमाल कर सकते हैं। दवाइयों की किट रखें। टीवी चलाने की कोशिश न करें।
अंतिम बातें
दिनेश के वोहरा कहते हैं कि ऐसा प्रोग्राम आपको कहीं नहीं मिलेगा। ब्लैक आउट होने पर खुद को बचाना जरूरी है। बेसमेंट में जाएं और शेल्टर में रहें। कन्वेंशनल वॉर में भी यही सेफ गार्ड्स काम आते हैं। इंसानी जान बहुत कीमती है। बूढ़े बच्चों का ख्याल रखें।
समापन
दिनेश के वोहरा कहते हैं कि ये प्रोग्राम नॉन पॉलिटिकल है और ह्यूमन सेफ्टी पर आधारित है। वो चैनल को सब्सक्राइब करने और शेयर करने के लिए कहते हैं। वो आर्थिक मदद भी मांगते हैं ताकि रिसर्च टीम को सपोर्ट किया जा सके। वो जंग न होने की कामना करते हैं, लेकिन सेफगार्ड को न भूलने की सलाह देते हैं।