Brief Summary
आज हम असिएंट इंडियन हिस्ट्री पर एक मैराथन वीडियो शुरू करने जा रहे हैं, जिसमें प्रीहिस्टोरिक इंडिया, सिंधु वाली सिविलाइजेशन, वैदिक एज, जैनिज्म, बुद्धिस्म और महाजनपद जैसे टॉपिक शामिल हैं। साथ ही मौर्य, कुषाण, गुप्त और साउथ इंडियन हिस्ट्री के स्पेसिफिकेशन पर भी चर्चा होगी।
- प्रीहिस्टोरिक इंडिया में स्टोन टूल्स का महत्व और लिधिक एज के तीन प्रकार: पेलियोलिथिक, मेसोलिथिक और नेओलिथिक एज शामिल हैं।
- सिंधु वाली सिविलाइजेशन, भारत के इतिहास का सबसे पुराना अर्बन सिविलाइजेशन है, जिसकी टाउन प्लानिंग, आर्किटेक्चर और क्राफ्ट्स मेकिंग की बात की जाएगी।
- वैदिक एज में आर्यांस का माइग्रेशन, ऋग्वेद का महत्व और पॉलीटिकल, सोशल और इकोनॉमिकल फीचर्स पर प्रकाश डाला जाएगा।
Complete Ancient Indian History
यह वीडियो असिएंट इंडियन हिस्ट्री पर आधारित है, जिसमें प्रीहिस्टोरिक इंडिया से लेकर सिंधु वाली सिविलाइजेशन, वैदिक एज, जैनिज्म, बुद्धिस्म और महाजनपद जैसे टॉपिक शामिल हैं। इसके साथ ही मौर्य, कुषाण, गुप्त और साउथ इंडियन हिस्ट्री के स्पेसिफिकेशन पर भी चर्चा की जाएगी।
Prehistoric India
हिस्ट्री शब्द ग्रीक शब्द हिस्टोरिया से बना है, जिसका अर्थ है इंक्वारी, इन्वेस्टिगेशन या पास्ट नॉलेज। हिस्ट्री में हिस्टोरिकल सोर्सेस की अहम भूमिका होती है, जिन्हें नॉन-लिटरेरी और लिटरेरी सोर्सेस में विभाजित किया जा सकता है। पास्ट की स्टडी को प्री-हिस्ट्री, प्रोटो-हिस्ट्री और हिस्ट्री में विभाजित किया गया है। प्री-हिस्ट्री में लेखन का आविष्कार नहीं हुआ था और इसका ज्ञान आर्कियोलॉजिकल एविडेंस पर आधारित है। इंडिया का प्रीहिस्टोरिक पीरियड लगभग 20000 ईसा पूर्व से 2500 ईसा पूर्व तक का है, जिसमें मानव हंटिंग और गैदरिंग जैसी एक्टिविटीज करते थे। इस एज में मानव सेटल लाइफ की तरफ आगे बढ़ता है। स्टोन टूल्स सबसे ज्यादा मात्रा में पाए गए हैं, इसलिए इस काल को लिधिक एज या स्टोन एज कहा जाता है। स्टोन एज को तीन प्रकार में वर्गीकृत किया गया है: पेलियोलिथिक एज (ओल्ड स्टोन एज), मेसोलिथिक एज (मिडिल स्टोन एज) और नेओलिथिक एज (न्यू स्टोन एज)।
Indus Valley Civilization_ Geography and Characteristic Features
सिंधु वाली सिविलाइजेशन, भारत के इतिहास का सबसे पुराना और दुनिया में सबसे पुराने अर्बन सिविलाइजेशन में से एक है। यह लगभग 4500 साल पहले 2600 ईसा पूर्व में एक अर्बन सिविलाइजेशन की तरह एक्जिस्टेंस में आया। 1921 में दयाराम सनी ने हड़प्पा का एक्सकैवेशन किया, जिससे दुनिया भर के इतिहासकारों को हैरानी हुई। सिंधु वाली सिविलाइजेशन ने भारतीयों को खुद के इतिहास पर गर्व करने का मौका दिया। सिंधु वाली सिविलाइजेशन को हड़प्पा सिविलाइजेशन भी बोला जाता है और यह एशिया के तीन और मेजर सिविलाइजेशन मेसोपोटामिया, इजिप्ट और चीन का समकालीन था। सिंधु वाली की सिटीज एग्रीकल्चर पर बेस्ड अर्बन टोंस थे और यहां की इकोनामी मर्केंटाइलिज्म पर भी बेस्ड थी। हड़प्पा आरयूआईएनएस का सबसे पुराना रिकॉर्ड ईस्ट इंडिया कंपनी के जर्नलिज्म में मिलता है, जो उन्होंने 1842 में लिखी थी। 1921 में दयाराम सनी ने हड़प्पा और 1922 में रोड बनर्जी ने मोहनजोदड़ो का एक्सकैवेशन किया।
Indus Valley Civilization_ Important Sites and Inferences
हड़प्पा, रवि नदी के किनारे पाकिस्तान के पंजाब प्रोविंस में है। यहां ग्रेनरीज, वर्कर्स के रूम और ब्रोंज स्मेल्टिंग के एविडेंस मिले हैं। मोहनजोदड़ो, सिंधु नदी के किनारे पाकिस्तान के पंजाब प्रोविंस के लरकाना में है। यहां द ग्रेट बाथ, द ग्रेट ग्रेनरी, ब्रोंज डांसिंग गर्ल और पशुपति की सील मिली हैं। धोलावीरा, गुजरात के रन ऑफ कच्छ में है और यह बड़े रिजर्वस और वाटर हार्वेस्टिंग के लिए फेमस है। सिंधु वाली सिविलाइजेशन का पॉलिटिकल सिस्टम सेंट्रलाइज्ड था, जिसकी वजह से आईवीसी कल्चर एक यूनिफॉर्म कल्चर था। इन टोंस में मिले सीटेट लक शायद सीट ऑफ पावर थे और मोहनजोदड़ो की ग्रेट ग्रांडेरी स्टेट का ट्रेजरी थी। हड़प्पा में एग्रीकल्चर एक मेजर इकोनामिक एक्टिविटी थी, जिसका मेजर कारण सिंधु वाली की फर्टिलिटी था। सिंधु वाली के में क्रॉप्स में वीट, बाली, राइस, सेसम, मस्टर्ड और पीस हैं।
Early Vedic Age
वैदिक सिविलाइजेशन 1500 ईसा पूर्व से करीब 500 ईसा पूर्व तक चला, जिसको दो पार्ट्स में डिवाइड किया जाता है: अर्ली वैदिक एज (1500 से 1000 ईसा पूर्व) और लेटर वैदिक एज (1000 से 500 ईसा पूर्व)। अर्ली वैदिक एज में ऋग्वेद को कंपिल किया गया, इसलिए इसको ऋग वैदिक एज भी कहा जाता है। ऋग्वेद में 1028 हिम्स हैं, जिनको 10 मंडलों में डिवाइड किया गया है। ऋग्वेद एक प्रेयर्स की कलेक्शन है, जो अग्नि, इंद्र, मित्र, वरुण और अदर गॉड्स को ऑफर की गई है। आर्यन कल्चर के रेफरेंस हमको दूसरे रिलिजियस टेक्स्ट में भी देखने को मिलते हैं। इंडो-यूरोपियन लैंग्वेज के स्पीकर्स में सिमिलर जेनेटिक सिगनल्स देखने को मिलते हैं। हॉर्स आर्यन कल्चर का एक इंपॉर्टेंट स्ट्रेट था। ऋग्वैदिक कल्चर में ट्राइब को जन्म बोला जाता था और ट्राईबल के को राजन को पति या गोपा बोला जाता था। ऋग्वेदिक पीरियड में राजन की पोजीशन हेरेडिटरी नहीं होती थी, लेकिन इलेक्शन के कुछ इंस्टेंस भी मिले हैं, जो कि ट्राईबल असेंबली यानी समिति के द्वारा किया जाता था।
Later Vedic Age
लेटर वैदिक पीरियड की हिस्ट्री मेली उन वैदिक टेक्स्ट पर बेस्ड है जो ऋग्वेद के बाद कंपोज हुए। वैदिक हिम्स और मंत्र को संहिता बोला जाता है। सामवेद और अथर्ववेद का कंपोजिशन भी इसी पीरियड में हुआ। ब्रह्मनास भी इसी पीरियड में कंपिल हुए, जिनमें रिचुअलिस्टिक फॉर्मुलस और रिचुअल्स का सोशल और रिलिजियस मीनिंग बताया गया। आर्यांस पंजाब से लेकर लगभग पूरे वेस्टर्न अप में गंगा यमुना द्वीप में एक्सपेंड कर चुके थे। लेटर वैदिक टाइम्स में लोगों को बर्नी ब्रिक्स की जानकारी नहीं थी, मोस्टली मैड हाउसेस ही बनाए जाते थे। लेटर वैदिक पीरियड में बड़े किंगडम्स की शुरुआत हुई और जनपद और राष्ट्र का राइस हुआ। किंग को कई तरह के नेम से एड्रेस किया जाता था जैसे नॉर्थ में विराट, ईस्ट में सम्राट, वेस्ट में स्वराज और साउथ में भोज। लेटर वैदिक सोसाइटी चार वर्णस में डिवाइडेड थी और और तक यह डिस्टिंक्शन रिगिड हो चुका था। इस पीरियड में कल्ट उभरकर आया, जिनके कारण ब्रह्मनास की इंर्पोटेंस और बढ़ गई।
Jainism
सिक्स्थ और फिफ्थ सेंचुरी ईसा पूर्व में, जब वैदिक कल्चर अपनी चर्म सीमा पर था, लोग ब्रह्मनिकल डोमिनेशन और रिचुअल्स के खिलाफ आवाज उठाने लगे थे। क्षत्रिय वर्ण ने ब्राह्मण डोमिनेशन के खिलाफ आवाज उठाना शुरू किया और वर्ण व्यवस्था में बर्थ के इंर्पोटेंस को लेकर एक प्रकार का प्रोटेस्ट मूवमेंट चालू किया। नॉर्थ ईस्ट इंडिया में एक नई तरह की एग्रीकल्चर इकोनॉमिकल स्प्रेड होने लगी थी। 6th सेंचुरी ईसा पूर्व के और होने तक पूर्वी अप, नॉर्थ और साउथ बिहार में आयरन का इस्तेमाल शुरू हुआ, जिसके चलते डांस फॉरेस्ट को क्लियर करना आसान हो गया और बड़े स्केल में लोग यहां रहने लगे। 500 ईसा पूर्व के आसपास नॉर्थ ईस्ट इंडिया में बड़ी मात्रा में सिटीज बसना चालू हुई। वर्धमान महावीर जैनिज्म के रियल फाउंडर माने जाते हैं। जैनिज्म में 5 सिद्धांतों की बात कही गई है: अहिंसा, झूठ मत बोलो, चोरी मत करो, संचय मत करो और ब्रह्मचर्य को अपनाओ। जैनिज्म ने गॉड की एक्जिस्टेंस को रिकॉग्नाइज्ड किया, लेकिन उन्हें जीना की श्रेणी से नीचे ही रखा।
Buddhism
बुद्धिस्म और जैनिज्म लगभग एक ही समय पर राइस हुए, इसलिए दोनों के ओरिजन के कॉसेस भी से ही थे। लेटर वैदिक कल्चर में वर्ण सिस्टम का रिगिड स्ट्रक्चर और बर्थ पर बेस्ड होना न्यू रिलिजियस के राइस का एक कारण बना। मिड गंजेटिक प्लांस में व्हाइट स्प्रेड एग्रीकल्चर बेस्ड इकोनामी का राइस होना, कोइंस के उसे से ट्रेड और कॉमर्स बढ़ाएं जिससे वैश्य का सोसाइटी में इंर्पोटेंस बढ़ता गया। गौतम बुद्ध महावीर के कंटेंपरेरी थे, उन्हें सिद्धार्थ और शाक्य मनी के नाम से भी जाना जाता है। एक ट्रेडीशन के अनुसार उनका बर्थ 567 ईसा पूर्व में एक शाक्य क्षत्रिय फैमिली में कपिलवस्तु के पास लुंबिनी में हुआ। 29 साल की एज में उन्होंने अपने घर का त्याग कर दिया और 35 साल की एज में उन्होंने एक पीपल ट्री के नीचे इनलाइटनमेंट को पाया। बुद्धिस्म में कोई भी सुप्रीम दे दी या गॉड को एस्टेब्लिश नहीं किया गया। बुद्ध ने ह्यूमन मिश्री को एलिमिनेट करने के लिए 8 फोल्ड पाथ यानी अष्टांग का मार्ग को रेकमेंड किया।
Mahanjanapadas
सिक्स्थ सेंचुरी ईसा पूर्व में, बहुत से प्राचीन ग्रंथ जैसे कि बुद्धिस्ट और जैन टेक्स्ट में हमें 16 महाजनपद के बारे में पता लगता है। अगर ज्योग्राफी की बात करें तो यह विंध्य पर्वत के नॉर्थ में थे। 16 महाजनपद थे: काशी, गौशाला, अंग, मगध, वजी, मल्ला, चेदि, वत्स, कुरु, पांचाल, मत्स्य, शूरसेन, अस्सका, अवंती, गांधार और कंबोज। लेटर वैदिक पीरियड के टाइम से ही एग्रीकल्चर एक डोमिनेंट ऑक्यूपेशन बन जाता है और सेटल्ड लाइफस्टाइल पैटर्न की शुरुआत होती है। इसके साथ ही शुरू होता है माइग्रेशन टुवर्ड्स लोअर गंगेटिक प्लेन यानी कि पूर्वी अप और बिहार का रीजन। इस रीजन में आयरन का इस्तेमाल शुरू हुआ जिसके चलते डांस फॉरेस्ट को क्लियर करना आसान हो गया और बड़े स्केल में लोग यहां रहने लगे। ऋग्वेदिक पीरियड में दो तरह के पॉलिटिकल सिस्टम देखने को मिलते हैं: मोनार्की और गनसंघ। मोनार्कीज में एक ही राजा के पास रिवेन्यू लेने का राइट होता था, जबकि गनसंघ में हर एक ट्राईबल ओलिगा के पास ये राइट था।
Rise of Magadh Empire and Formation of Mauryan Empire
आज हम उस रीजन की बात करने वाले हैं जहां एशिया इंडिया का पहला अंपायर फॉर्म होता है। जी हां, हम जानेंगे कि कैसे मगध का राइस होता है एक महाजनपद से अंपायर तक। मगध 16 महाजनपदों में से एक था। यह आज के बिहार स्टेट के पटना, गया, नालंदा और शाहबाद डिस्ट्रिक्ट को कवर करता था। इसके साउथ वेस्ट में अवंती था, नॉर्थ वेस्ट में घोषाल और नॉर्थ में वाजीकन फरेसी। इसकी अर्ली कैपिटल थी राजगृह जो बाद में शिफ्ट होकर बनती है पाटलिपुत्र। मगध का पहला इंपॉर्टेंट रोलर माना जाता है बिंबिसार को। बिंबिसार को साल की प्रिंस के साथ मैरिज करने पर इनको काशी का कुछ पाठ डोरी में मिलता है, वहीं अंग को वार में जीत लिया जाता है। चंद्रगुप्त मौर्य धननंद को हराकर मौर्य डायनेस्टी की शुरुआत करते हैं। मगध की सक्सेस के पीछे बहुत सारे फैक्टर्स थे जैसे एक रीजन था एंबिशियस और काबिल रुलर्स का होना।
Ashoka_ The Great
अशोक मौर्य डायनेस्टी के रोलर थे जिन्होंने मौर्य अंपायर को असिएंट इंडिया का सबसे पावरफुल किंगडम बना दिया। अशोक के बारे में हिस्टोरिकल रिकॉर्ड्स कहते हैं कि पहले वो एक बेहद क्रुएल और ब्रॉकली राजा थे। 261 ईसा पूर्व में अशोक ने कलिंगा पर आक्रमण किया और उसे कंपलीटली डिस्ट्रॉय कर दिया। दुनिया के इतिहास में अशोक शायद पहले किंग हुए जिसने विक्ट्री में जश्न नहीं दुख व्यक्त किया। कलिंगा वार के बाद अशोक ने वायलेंस को कंपलीटली छोड़कर बुद्धिस्म को अपना लिया। अशोक ने अहिंसा, ट्रुथफूलनेस, रिस्पेक्ट पर एल्डर और ह्यूमन ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स जैसे मैसेज भी स्प्रेड किए। अशोक की पॉलिसी रिलिजियस टोलरेंस पर बेस्ड थी। अशोक ने फेमस गायत्री मंत्र अटरीब्यूट किया।
Time period between Mauryan and Gupta Empire
आज हम कवर करने वाले हैं असिएंट इंडियन हिस्ट्री का ऐसा पीरियड जिसे कन्वेंशनल हिस्ट्री राइटिंग्स में डार्क पीरियड कहा जाता है यानी कि 200 ईसा पूर्व से 300 ईसवी तक का समय। पुष्यमित्र शुंग मौर्य आर्मी में एक सेनापति थे। लास्ट मौर्य रोलर बृहद्रथ को अराउंड 180 ईसा पूर्व में करने के बाद वो शुंग डायनेस्टी को एस्टेब्लिश करते हैं। भागवत ने गरुड़ या 20 नगर इनस्क्रिप्शन के लिए यह भागवत रिलिजन अपना लेते हैं और विदिशा में गरुड़ पिलर का कंस्ट्रक्शन करवाते हैं। इंडो ग्रीक्स पहले ऐसे रुलर्स थे जिन्होंने इंडिया में गोल्ड कोइंस इशू किए थे। कुषाण अंपायर के फाउंडर थे कैटफिश। कनिष्क ने कश्मीर में फोर्थ बुद्धिस्ट काउंसिल भी ऑर्गेनाइजर कराई थी। सातवाहन डायनेस्टी का फाउंडर माना जाता है सिमुका को।
Sangam Age
संगम एज साउदर्न इंडिया में हिस्टोरिकल पीरियड की शुरुआत मानी जाती है। इसे थर्ड सेंचुरी ईसा पूर्व और थर्ड सेंचुरी ईसवी के बीच का पीरियड माना जाता है। इस पीरियड का नाम पड़ा है यहां होने वाली संगम असेंबली यानी कि अकादमी से। इन संगम में बहुत से इंपॉर्टेंट स्कॉलर्स असेंबल होते हैं और लिटरेचर का कंप्लीशन करते हैं एंथोलॉजी के फॉर्म में। संगम लिटरेचर में शामिल हैं तोलका पीएम, एट्टुटोगाई, पट्टुपट्टू और दो अपेक्स सेल पर गम और मनी मंगली। संगम एज के दौरान साउथ इंडिया को तीन डायनेस्टी रूल करती थी जो थी चेहरा, चोला और पांड्या। चोल एक एफिशिएंट नेवी भी मेंटेन करते थे। संगम पीरियड के टाइम गवर्नमेंट का फॉर्म हेरेडिटरी मोनार्की था। संगम पीरियड में वूमेन को रिस्पेक्ट के साथ ट्वीट किया जाता था और उनको इंटेलेक्चुअल एक्टिविटीज पर शुरू करना अलाउड था।
Gupta Empire_ Polity, Administration and Society
आज हम बात करेंगे भारतीय इतिहास की उन 200 सालों की जिसमें एक नॉर्थ इंडियन अंपायर ने एडमिनिस्ट्रेशन, इकोनामी, सोशल रिलिजियस लाइफ आज लिटरेचर, साइंस मेडिसिन और इंजीनियरिंग के फील्ड में बहुत तरक्की की। इस पीरियड को गुप्ता पीरियड या गोल्डन आगे ऑफ इंडिया कहा जाता है। श्री गुप्ता को गुप्ता डायनेस्टी का फाउंडर बताते हैं पर गुप्ता डायनेस्टी के पहले इंडिपेंडेंस रोलर चंद्रगुप्त वन को माना जाता है। समुद्रगुप्त अपने पिता द्वारा चलाए गए विजय रथ को हर तरफ से नॉर्थ साउथ ईस्ट वेस्ट में बढ़ते हैं। स्कंदगुप्त गुप्ता डायनेस्टी के आखिरी महान एंपरर थे। गुप्ता अंपायर की सक्सेस में उनके एफिशिएंट एडमिनिस्ट्रेशन का बहुत बड़ा रोल था। गुप्ता अंपायर हाली सेंट्रलाइज्ड था मतलब सारी पावर का सोर्स सेंट्रल अथॉरिटी के पास था। गुप्ता कल में सोशल लाइफ में काफी चेंज आए थे।
Gupta Empire_ Economy and Art & Culture
गुप्ता अंपायर की इकोनामी बड़ी रॉबस्ट थी, एग्रीकल्चर ट्रेड क्राफ्ट सभी में तेजी आई थी। इसी प्रोस्पेरिटी के कारण गुप्ता पीरियड को गोल्डन एज कहा जाता है। गुप्ता रुलर्स ने प्राचीन भारतीय इतिहास में सबसे ज्यादा गोल्ड कोइंस इशू किए थे पर गोल्ड कंटेंट के टर्म्स में गुप्ता कोइंस कुशाना कॉइन से काम पूरे थे। गुप्ता पीरियड में आर्ट एन आर्किटेक्चर में ट्रिमेंडस प्रोग्रेस देखने को मिलता है। देवगढ़ उत्तर प्रदेश का दशावतार टेंपल नगर स्टाइल का वन ऑफ द ओल्डेस्ट सर्वाइविंग एग्जांपल है। गुप्ता पीरियड मैथमेटिक्स एस्ट्रोनॉमी एस्ट्रोलॉजी मेडिसिन के क्षेत्र में भी काफी आगे था।
Reign of Harshavardhana
गुप्ता अंपायर के बाद पूरा भारतवर्ष फिर से छोटे-छोटे प्रदेशों में बन गया था, लेकिन इसके बावजूद एक ऐसा विराट सम्राट हुआ जो पूरे उत्तर भारत में अपना साम्राज्य कायम करने में सफल हो गया और साथ शिक्षा साहित्य धर्म और टोलरेंस की प्रेरणा भी बना। यह सम्राट थे पुष्यभूति वंश के महान शासन शिलादित्य हर्षवर्धन। हर्षवर्धन सबसे पहले अपनी बहन को विंध्याचल के जंगल में सती होने से रोक लेते हैं और फिर शुरू होता है शिवा भक्ति हर्षवर्धन की लड़ाई और जीत का सिलसिला। हर्षवर्धन के समय में वर्ण सिस्टम पूरी तरह से मॉडिफाई हो गया। हर्षवर्धन के समय में रिलिजियस टोलरेंस एनिमल वेलफेयर पॉलिसीज डोनेशन और लॉर्ड ऑफ द नॉर्थ के नाम से हमेशा याद रखें जाएंगे।
Palas, Pratiharas and Rashtrakutas
आज इस कहानी में हम डिस्कस करेंगे 800 से 1000 ईसवी के बीच हुई एक इंपॉर्टेंट स्ट्रगल के बारे में जिसमें तीन अंपायर्स यानी पार्लर्स, प्रतिहारस और राष्ट्रकूट नॉर्थ इंडिया में अपने वर्चस्व के लिए लड़ रहे थे। हर्ष की डेथ के बाद का जो पीरियड था एक तरह से पॉलिटिकल कन्फ्यूजन का दौर था। 758 में पाल अंपायर को गोपाल ने फार्मूले फाउंड किया जो एक इलेक्ट्रिक लीडर थे पूर्वी इंडियन रीजन के नामी लोगों ने इनकी को खत्म करने के लिए गोपाल कुकिंग बनाया। प्रतिहारस लर्निंग और लिटरेचर और आर्किटेक्चर की ग्रीक पेट्राइम्स माने जाते हैं। राष्ट्रकूट अंपायर 200 साल तक यानी 10th सेंचुरी के और तक चला वह रिलीजियस टोलरेंट थे और शैविज्म और वैश्णविज्म के साथ जैनिज्म को भी पेट्रनाइज्ड किया।
Chola Dynasty
आज हम देखेंगे उस चोला अंपायर के 450 सालों के इतिहास के बारे में जिसने साउथ इंडिया पालिटी को स्टेबलाइजर करते हुए अपना डोमिनेंस एन सिर्फ इंडिया में बढ़ाया बल्कि उसके बॉन्ड सऊदी एशिया तक भी फैलाया। चोल का इतिहास काफी पुराना है इस नाम की एक किंगडम का एस्टेब्लिशमेंट सबसे पहले कावेरी डेल्टा के अराउंड कुछ 320 में हुआ। विजय चोला ने पांडे से तंजावुर को छन कर अपनी कैपिटल बना लिया। चोल अंपायर की सबसे पावरफुल किंग राज राजा चोला वन और राजेंद्र चोलवन थे जिन्हें अंपायर के कंसोलिडेशन और उसे कावेरी डेल्टा के बॉन्ड एक्सपेंड करने का क्रेडिट दिया जाता है। राजेंद्र वन में राज राजा को सकसीड किया जिनका इंडिया में सबसे बड़ा अचीवमेंट था गंगा बेसन का कैंपेन और उड़ीसा और पाल रुलर्स पर मैसिव विक्ट्री।
Struggle for supremacy_ Pallavas, Chalukyas & Pandyas
आज की इस कहानी में हम आपको ले चलते हैं इंडिया के 300 से 750 ईसवी के पेनिनसुलर रीजन में। इस पीरियड को विंध्यास के सदन रीजंस की हिस्ट्री का सेकंड फ्रिज कहा जाता है। सेकंड फेस में इन रीजंस में और साथ ही विदर्भ में 300 से 680 के बीच लगभग दो दर्जन स्टेटस उभरकर आए। बदामी के चालुक्य और मदुरई के पंड्यास तीन मेजर स्टेटस के रूप में उभर कर आए। इस पीरियड में एक तरह की टेंपल इकोनामी डेवलप हुई। इस पीरियड की सोसाइटी मेली प्रिंस और प्रिंस से डोमिनेटेड थी।