Brief Summary
ये वीडियो वैदिक काल और ऋग्वैदिक काल के महत्वपूर्ण प्रश्नों पर आधारित है। इसमें गायत्री मंत्र के रचयिता, सर्वाधिक लोकप्रिय देवता, वर्ण व्यवस्था, वेदों की संख्या, उपनिषदों, और विभिन्न नदियों के वैदिक नामों जैसे विषयों पर चर्चा की गई है। इसके अलावा, यह वीडियो प्राचीन भारत में लोहे के उपयोग, वैदिक दर्शन, सत्यमेव जयते, और योग दर्शन जैसे विषयों को भी कवर करता है।
- गायत्री मंत्र के रचयिता विश्वामित्र हैं।
- ऋग्वेद में 10 मंडल हैं, और सबसे नया वेद अथर्ववेद है।
- सत्यमेव जयते मुंडक उपनिषद से लिया गया है।
वैदिक काल: गायत्री मंत्र और ऋग्वैदिक देवता
वैदिक काल में गायत्री मंत्र के रचयिता विश्वामित्र थे, और यह ऋग्वेद के तीसरे मंडल से लिया गया है। ऋग्वेद के विभिन्न मंडलों के रचयिता अलग-अलग ऋषि हैं। ऋग्वैदिक काल में सबसे लोकप्रिय देवता इंद्र थे, जबकि उत्तर वैदिक काल में प्रजापति को माना गया, जिन्हें ब्रह्मा के पुत्र कहा जाता है। वर्ण व्यवस्था से संबंधित पुरुष सूक्त ऋग्वेद के दसवें मंडल में पाया जाता है, और पुरुष सूक्त के स्वामी भगवान विष्णु कहे गए हैं।
ऋग्वैदिक काल: मंत्र, श्लोक और गोधूलि
ऋग्वेद काल में मंत्रों का कुल संग्रह 1028 सूक्त और लगभग 10,600 श्लोक हैं, और इसमें 10 मंडल हैं। यह सबसे पुराना वेद है। प्रारंभिक वैदिक काल में गोधूलि का उपयोग समय के संदर्भ में किया जाता था, खासकर सुबह और शाम के समय। उत्तर वैदिक काल में प्रजापति सबसे लोकप्रिय देवता थे।
उत्तर वैदिक काल: कृषि और पुराण
उत्तर वैदिक काल में कृषि अर्थव्यवस्था के विकास में लोहे की तकनीक का महत्वपूर्ण योगदान था। इस काल में लोहे का उपयोग कृषि से संबंधित रोजगार और समाज बनाने में किया गया। पुराणों की कुल संख्या 18 है, जिनमें ब्रह्मा पुराण, पदम पुराण, विष्णु पुराण, और मत्स्य पुराण (सबसे पुराना पुराण) शामिल हैं।
वेद और उपनिषद: गद्य, लोहे का उपयोग और वैदिक दर्शन
यजुर्वेद आंशिक रूप से गद्य रूप में है। अतरंजीखेड़ा की खुदाई में भारत में लोहे के उपयोग के प्राचीनतम प्रमाण मिले हैं, जो उत्तर प्रदेश में स्थित है। वैश्विक दर्शन के प्रणेता ऋषि कणाद हैं। ऋग्वेद में पुरुष सूक्त शामिल है, और उपनिषदों को वेदांत भी कहा जाता है, जिनकी कुल संख्या 108 है।
गायत्री मंत्र, भागवत गीता और सत्यमेव जयते
प्रसिद्ध गायत्री मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है। भागवत गीता महाभारत का अंश है। 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' कथन उपनिषद से लिया गया है। सत्यमेव जयते मुंडक उपनिषद से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'सत्य की हमेशा जीत होती है'।
अष्टांग योग, वैदिक काल और उपनिषद
अष्टांग योग का एक अंश मनुस्मृति नहीं है। वैदिक काल में 'पानी' शब्द व्यापारियों के लिए इस्तेमाल होता था, जिनका व्यापार पर नियंत्रण होता था। 'गोपति' शब्द मवेशियों के राजा के लिए प्रयुक्त होता था। उपनिषदों को वेदांत के नाम से भी जाना जाता है।
दसराज युद्ध, वैदिक नदियाँ और आर्य
वैदिक काल में दस राजाओं ने सुदास के विरुद्ध दसराज युद्ध लड़ा था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद के सातवें मंडल में मिलता है। रवि नदी का वैदिक नाम परुष्णी था, सतलुज का शतद्रि और झेलम का वितस्ता था। लोपामुद्रा नामक स्त्री का उल्लेख वैदिक साहित्य में मिलता है। आर्य शब्द श्रेष्ठ वंश को इंगित करता है।
वैदिक साहित्य, नदियाँ और वेद
यज्ञ संबंधी विधि-विधानों का पता यजुर्वेद से चलता है। आरंभिक वैदिक साहित्य में सबसे अधिक वर्णित नदी सिंधु है, जबकि सबसे पवित्र नदी सरस्वती मानी गई है। वेदों की संख्या चार है, जिनमें सबसे पुराना ऋग्वेद और सबसे नया अथर्ववेद है। सरस्वती को 'देवी माता' और 'नदी माता' के रूप में संबोधित किया गया है।
ऋग्वेद, सामवेद और मंडल
ऋग्वेद का नौवां मंडल पूर्णतया सोम को समर्पित है। ऋग्वेद में सरस्वती को सबसे पवित्र नदी कहा गया है। भारतीय संगीत का जनक सामवेद को माना गया है, और सारेगामापाधनिसा सामवेद से ही लिया गया है। ऋग्वेद में 10 मंडल हैं, और सबसे नवीनतम वेद अथर्ववेद है।
प्राचीन भारत: निष्क, न्याय दर्शन और त्रयी
प्राचीन भारत में निष्क स्वर्ण आभूषणों को कहा जाता था। न्याय दर्शन के अनौपचारिक गौतम थे। त्रयी नाम तीन वेदों (सामवेद, ऋग्वेद, और यजुर्वेद) को एक साथ मिलकर दिया गया है। उपनिषदों की संख्या 108 है।
व्याकरण, धातु और आर्य शब्द
व्याकरण की सर्वप्रथम रचित पुस्तक अष्टाध्यायी है, जो पाणिनि द्वारा लिखी गई है। वैदिक काल में खोजी गई धातु लोहा थी, जिसका उपयोग उत्तर वैदिक काल में सबसे ज्यादा हुआ, जिससे कृषि आधारित व्यवसाय का विकास हुआ। आर्य शब्द का अर्थ श्रेष्ठ और कुलीन है।
ओम, यव और योग दर्शन
'ओम' शब्द ऋग्वेद से लिया गया है। वैदिक युग में 'यव' जौ को कहा जाता था, और वेद संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं। योग दर्शन का प्रतिपादन पतंजलि ने किया।
ऋग्वैदिक व्यवसाय, काल और गणित
ऋग्वैदिक आर्यों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन था, जबकि उत्तर वैदिक काल में कृषि प्रमुख व्यवसाय बन गया। ऋग्वैदिक काल का समय 1500 से 1000 ईसा पूर्व माना गया है, और उत्तर वैदिक काल 1000 से 600 ईसा पूर्व। वैदिक गणित का महत्वपूर्ण अंग शुलभ सूत्र है।
संगीत, विवाह और विधि निर्माता
भारतीय संगीत का आदि ग्रंथ सामवेद को कहा गया है। अनुलोम विवाह में उच्च जाति का लड़का निम्न जाति की लड़की से विवाह करता था, जबकि प्रतिलोम विवाह में उच्च जाति की लड़की निम्न जाति के लड़के से विवाह करती थी। मनु प्रथम विधि निर्माता हैं।
उपनिषद काल, अथर्ववेद और वेदांग
उपनिषद काल के राजा अश्वपति कैकेय के शासक माने गए हैं। अथर्ववेद में जादू टोना से संबंधित उल्लेख मिलते हैं। वेदांगों की संख्या छह है: शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, निरुक्त, और छंद। वेदांत उपनिषदों को कहा गया है।