Brief Summary
आज के अध्ययन में, दूसरा पत्र, अध्याय 3, पद 14-18 पर ध्यान केंद्रित किया गया है। लेखक विश्वासियों को नए स्वर्ग और नई पृथ्वी की आशा रखते हुए आत्मिक परिपक्वता का पीछा करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इसमें पवित्रता और स्थिरता के लिए प्रयत्नशील रहने और बहकने से बचने की सलाह दी गई है, ताकि प्रभु में बढ़ते जाएं।
- आत्मिक परिपक्वता का पीछा करो
- पवित्रता और स्थिरता के लिए प्रयत्नशील रहो
- बहकने से बचो और प्रभु में बढ़ते जाओ
विश्वासियों के लिए प्रोत्साहन: आत्मिक परिपक्वता का पीछा
लेखक विश्वासियों को नए स्वर्ग और नई पृथ्वी की आशा लगाते हुए आत्मिक परिपक्वता का पीछा करने के लिए कह रहा है। वो कह रहा है कि जब हम नई सृष्टि का इंतजार कर रहे हैं, तो हमें हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठना है, बल्कि पवित्रता और स्थिरता के लिए लगातार प्रयास करना है। हमें सचेत रहना है और बहकना नहीं है, बल्कि प्रभु में बढ़ते जाना है।
झूठे शिक्षकों से सावधान
शुरू में, पत्रस विश्वासियों को उत्साहित करता है और प्रभु ने उनके लिए क्या किया है, यह बताता है। फिर वह उन्हें आत्मिक परिपक्वता में बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है, गुणों में बदलने और आत्मिक गुणों को प्रदर्शित करने के लिए कहता है। ऐसा न करने पर वे अधूरदर्शी और भुलक्कड़ हो जाएंगे। उन्हें परमेश्वर के वचन पर ध्यान देने और उस पर विश्वास करने की सलाह दी जाती है। दूसरे अध्याय में, झूठे शिक्षकों के बारे में चेतावनी दी गई है, जो वचन को तोड़ते-मरोड़ते हैं और प्रभु की शिक्षा को विकृत करते हैं। उनका चरित्र खराब है, वे दागदार और बेईमान हैं, लोगों का शोषण करते हैं और यौन संबंधी पापों में फंसे हुए हैं। विश्वासियों को उनकी बातों में न आने और प्रभु के वचन में भरोसा रखने के लिए कहा गया है।
प्रभु की प्रतिज्ञा और हमारा उत्तरदायित्व
प्रभु ने हमसे नए आकाश और नई पृथ्वी की प्रतिज्ञा की है, जो हमेशा के लिए होगी। यह जीवन अस्थायी है, इसलिए हमें उस ओर देखना चाहिए जो हमेशा के लिए है। कुछ लोग सोचते हैं कि जब वह समय आएगा तब देखा जाएगा, लेकिन हमें ढीले नहीं पड़ना चाहिए। मसीह जीवन को हल्के में नहीं लेना चाहिए, बल्कि उत्साह से जीना चाहिए। हमें अपनी आंखें दो दिशाओं में रखनी चाहिए: एक तरफ स्वर्ग की ओर और दूसरी तरफ अभी, इस समय, अपने आप को परिपक्व करने की ओर।
पवित्रता में बढ़ने का प्रयास
इसलिए, प्रियजनों, हमें प्रयत्न करना चाहिए और पवित्रता में बढ़ना चाहिए। मसीह जीवन को ऊपर-ऊपर से नहीं लेना चाहिए। हमें आलस नहीं करना चाहिए, बल्कि मेहनत करनी चाहिए ताकि हम प्रभु के द्वारा निष्कलंक और निर्दोष पाए जाएं। झूठे शिक्षक दागदार और धब्बेदार हैं, लेकिन हमें बेदाग और बेधब्बे होना है, पवित्रता से ओतप्रोत होना है। हमें यह नहीं कहना चाहिए कि हमने कर लिया है, बल्कि लगातार पवित्र होते जाना चाहिए। हमारा स्टैंडर्ड निष्कलंक और निर्दोष होना चाहिए, जिसमें एक भी कलंक या दोष न हो।
प्रभु की दया और हमारा उद्धार
प्रभु जी आने वाले हैं और सब कुछ नया होगा। हमें निष्कलंक और निर्दोषता में बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए, एक दूसरे के जीवन में निवेश करते हुए। इसके लिए हमें अपने पाप को और प्रभु की पवित्रता को गंभीरता से लेना होगा। हमारे जीवन में लगातार पापों का अंगीकार होना चाहिए। हमें यीशु मसीह की ओर देखना चाहिए और उनके जैसा बनने का प्रयत्न करना चाहिए। हमें लोगों से सहायता मांगनी चाहिए और उनके सामने पारदर्शी जीवन जीना चाहिए। हमें उनकी सलाह और सुझावों को लेने के लिए तैयार रहना चाहिए और अपने आप को बंद नहीं करना चाहिए।
प्रभु का धीरज और हमारा उत्तरदायित्व
प्रभु जी अभी तक नहीं आए हैं, क्योंकि वह धीरज रखे हुए हैं। हमें इस धीरज को उसकी दया समझना चाहिए और अपने उद्धार के कार्य को और पूरा करते जाना चाहिए। हमें अपने जीवनों के द्वारा यह साबित करना चाहिए कि प्रभु ने हमें बचाया है। हमारे जीवन से दिखना चाहिए कि हम प्रभु से प्रेम करते हैं, प्रभु के लोगों से प्रेम करते हैं और प्रभु के वचन से प्रेम करते हैं। हमें पवित्रता में बढ़ना चाहिए, पाप से लड़ना चाहिए और पश्चाताप करना चाहिए।
पौलुस की शिक्षा और झूठे शिक्षक
पत्रस कहता है कि पौलुस ने भी यही बात सिखाई है कि प्रभु जी आएंगे, लेकिन अगर अभी नहीं आए हैं तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। प्रभु जी तुम पर दया कर रहे हैं। प्रेरित पौलुस की भी यही शिक्षा है। प्रभु जी इंतजार कर रहे हैं और मौका दे रहे हैं। हमें उनके संयम को पश्चाताप का अवसर समझना चाहिए। पौलुस की शिक्षाओं को कई बार लोग तोड़-मरोड़ करके अपने शरीर के काम के लिए उपयोग करते हैं। झूठे शिक्षक वचन की शिक्षा को तोड़ देते हैं और कहते हैं कि पवित्रता जरूरी नहीं है। वे कहते हैं कि यह अनुग्रह का समय है और प्रभु क्षमा कर देगा, इसलिए ज्यादा गंभीरता से मत लो।
पवित्रता के पीछे लगे रहो
प्रभु जी की बातों पर ध्यान दो, पवित्र बनो और स्थिर बनो। निर्दोष और निष्कलंक बनने का प्रयत्न करो। यह जरूरी है, यह ऑप्शनल नहीं है। अगर कोई आकर बात घुमाता है, तो वह अज्ञानी और अस्थिर है। उसके चक्कर में न पड़ो। वह बाइबल के वचनों को घुमा रहा है। ऐसे लोगों का नाश होगा। इसलिए पवित्रता के पीछे लगे रहो और मेहनत करो। बाइबल अपने आप पढ़ी नहीं आती, प्रार्थना अपने आप नहीं होती। यह अनुशासन है, एक अभ्यास है जो हमें करना पड़ता है।
आत्मिक अनुशासन और सही निर्णय
पाप को ना बोलना, अपने को अनुशासित करके वचन में समय देना, वचन के अध्ययन करने के लिए मेहनत करना, अपने विचारों को इधर-उधर भटकने से बचाना, यह सब आत्मिक अनुशासन है। इसके लिए इंटेंशनलिटी, प्लानिंग और योजना बनाना जरूरी है। चाहे वह वचन पढ़ने का हो, चाहे प्रार्थना करने का हो, चाहे संगति करने का हो, चाहे अपने परिवार के साथ अध्ययन करना हो, चाहे पाप को ना बोलना हो, चाहे सही दोस्तों के साथ रहना हो, गलत दोस्तों से अलग रहना हो, गलत तरह का मनोरंजन से दूर रहना हो, सही मनोरंजन को ढूंढना हो, सही बातों के पीछे चलना हो, सही तरह के वार्तालाप करना हो, हर चीज के लिए प्रयास करना पड़ेगा।
सचेत रहो और बहको मत
सचेत रहो, जागते रहो। जब तुम्हें मालूम है कि लोग टेढ़े-मेढ़े करते हैं बातों को, जब तुम्हें मालूम है कि लोग वचन को ट्विस्ट करते हैं, तो सावधान रहो। बहक मत जाओ, फंस मत जाओ। संसार, शैतान और शरीर का गोल है तुम्हें प्रभु से दूर रखना। तुम जानते हो कि लोग ऐसा करते हैं, लोग घुमाते हैं बातों को, लोग टेढ़ा करते हैं, लोग फंसाते हैं, लोग बहलाते हैं, लोग फसलाते हैं, लोग गिराते हैं। इसलिए सावधान रहो और उनके भ्रम में मत पड़ो।
अधर्मी मनुष्यों से दूर रहो
कहीं ऐसा ना हो कि तुम अधर्मी मनुष्यों के चक्कर में फंस जाओ और स्थिर न रहो। उनके बातों को मत सुनो, ध्यान भी मत दो, हल्का सा भी एंटरटेन मत करो, तर्क-वितर्क भी मत करो। यह मत सोचो कि तुम उनको कंट्रोल कर लोगे। पाप बहुत खतरनाक है, शैतान बहुत खतरनाक है। हम शैतान की बातों में समझौता नहीं करेंगे। हम संसार के नहीं हैं, हम वहां के हैं। इसलिए अभी हम ऐसे जिएंगे जैसे मानो यहां पे नहीं हैं।
अनंत काल के प्रकाश में योजना बनाओ
अभी से निर्णय करना शुरू करो, एक के बाद एक प्लानिंग करो। जो 10 साल के बाद प्लानिंग बना रहे हो, जो 20 साल की प्लानिंग बना रहे हो, उसे अनंत काल के प्रकाश में बनाओ। अभी कीमत चुकाओ, अभी त्याग करो, अभी मुश्किल निर्णय लो, अभी कठिन कदम उठाओ, क्योंकि तुम्हें वहां जाना है। अभी भी हल्के में मजा करोगे तो गड़बड़ा जाओगे और कोई लाभ नहीं होगा।
प्रभु के अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते जाओ
लगे रहो, बने रहो, प्रभु जिसने तुम्हारा उद्धार किया उसके अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते जाओ। हम बाइबल अध्याय में समय व्यतीत करते हैं ताकि हम उसके अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते जाएं। हम प्रार्थना में समय व्यतीत करते हैं ताकि हम उसके अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते जाएं। हम एक दूसरे को उत्साहित करते हैं ताकि हम उसके अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते जाएं। हमारा एक ही उद्देश्य है, प्रभु जी को महिमा मिले।
जीवन का लक्ष्य: प्रभु की महिमा
चाहे आप मां हों, भाई हों, जो भी हों, हर एक बात में प्रभु को महिमा मिलनी चाहिए। हमारा दीवानापन होना चाहिए कि हम कैसे प्रभु का नाम बढ़ाएं, कैसे लोग उसको जाने, कैसे उसकी लोग महिमा करें, कैसे उसकी उपासना करें, कैसे उसकी आराधना करें, कैसे उसके पीछे और कैसे मैं उसके लिए और जीऊं, कैसे मैं उसके प्रति और समर्पित हूं। अपनी सीमितता में, अपनी कमी में, अपनी कठिनाई में, अपने मुश्किलों में, अपने जो भी कम संसाधन हैं उनके मध्य में कैसे प्रभु के लिए खर्च हूं।
छोटी-छोटी बातों में प्रभु की महिमा
हम आपसे बड़ा काम करने के लिए नहीं बोल रहे हैं। हम आपसे यही कहेंगे कि इन छोटी प्रतिदिन की दिनचर्या में, अपने रविवार में प्राथमिकता प्रभु के अपने बच्चों को प्रभु के प्रेम में बढ़ाने के लिए, अपने पड़ोसियों के साथ उत्तम व्यवहार करके सुसमाचार के सारे अवसरों को उपयोग करके उनको बताने के लिए, अपने पत्नी अपने पति से प्रेम से व्यवहार करके प्रभु के महिमा करने के द्वारा, अपने कलीसिया में एक दूसरे के जीवन में निवेश करने के द्वारा इन छोटी-छोटी बातों में छोटे-छोटे त्याग करने के यू स्टार्ट स्मॉल छोटे से शुरू कर देखिए प्रभु जी की महिमा होती है कि नहीं होती आपके जीवन से।